सिपाही के पास काम करते थे RTO के बड़े अफसर

धर्मेंद्र पैगवार

भोपाल। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के पूर्व सिपाही के यहां छापे के बद उगल रहे सोने, नगदी और जमीनों के कागजात मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग में हुए भ्रष्टाचार के इंतहा की कहानी है। सौरभ की अनुकंपा नियुक्ति में हुई मेहरबानी से लेकर उसके धन कुबेर बनने तक की कहानी में मंत्री अफसर ओर कटर का गठजोड़ है।

अभी तक की बरामदगी

  • – 234 किलो चांदी
    – 52 किलो सोना
    – जमीनों के 25 कागजात
    – पहले दिन दो करोड़ 85 लाख नकद
    – कार से 9 करोड़ 85 लाख
    – लैंड रोवर डिस्कवरी
    – चार अन्य गाड़ी
    – ई 7 अरेरा कालोनी में तीन मकान
    – ग्वालियर में एक मकान

 

मध्य प्रदेश में आमतौर पर गीत विभाग का कर्मचारी होता है इस विभाग में उसके बच्चे को अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है। लेकिन सौरव शर्मा पर तत्कालीन मंत्री और अफसर मेहरबान हुए। उसके पिता डॉक्टर थे लेकिन नियुक्ति हुई परिवहन विभाग में वह भी फील्ड में। सौरभ शर्मा तत्कालीन मंत्री का इतना खास था की हर 6 महीने में बैरियर पर होने भले दो तारा और 3 स्टार अफसर के रोटेशन की लिस्ट वह खुद तैयार करता था। एक सिपाही के आगे अफसर चक्कर लगाते थे।
बैरियर से पैसे का आना और जाना इसका काम भी सौरव और उसकी टीम के पास था। बैरियर पर तैनाती के बाद बहुत सभी प्रमुख बैरियर खुद ठेके पर ले लेता था। 2022 में वीआरएस लेने के बाद भी अभी 30 जून को जब मध्य प्रदेश में बैरियर बंद हुए तब भी सौरभ शर्मा के पास सेंधवा, खवासा और मुलताई बैरियर ठेके पर थे। दो स्टार थनेदार और तीन स्टार इंस्पेक्टर रैंक के परिवहन विभाग के अफसर सौरभ को ठेका देने के बाद उसकी जी हजूरी करते थे। बैरियर दिलाने से लेकर खर्च किए गए पैसे निकलने का जिम्मा खुद ठेका लेकर सौरभ करता था।।

52 किलो सोना सौरव शर्मा का होने का सदेह

इनकम टैक्स ने भोपाल में जो 52 किलो सोना और 9 करोड़ 85 लख रुपए बरामद किए हैं वह गाड़ी चेतन गौर की है। चेतन और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा घनिष्ठ मित्र हैं। जिस गाड़ी से सोना और पैसा मिला है उस पर आरटीओ उड़न दस्ते की नेम प्लेट लगी है।

पूर्व परिवहन मंत्री पर कस सकता है शिकंजा

सौरव शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति लेकर उसकी फील्ड में पस्टिंग और उसके रसूख को देखते हुए माना जा रहा है कि उस पर तत्कालीन परिवहन मंत्री और अफसरों का वरदहस्त था। प्रदेश के एक पूर्व परिवहन मंत्री इस पूरे मामले में जांच एजेंसी के रडार पर है। मंत्री के भाई भतीजों ने भी बुंदेलखंड में गांव के गांव खरीदे हैं। सिपाही होने के बावजूद सौरभ शर्मा का मंत्री के यहां पर रोक-टोक आना जाना था और पेरियार पर होने वाली नियुक्ति की लिस्ट फाइनल करने में उसकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। हालांकि दूसरे परिवहन मंत्री के यहां भी सौरभ शर्मा का जलवा कायम रहा। भाजपा सरकार में मंत्री जी के कांग्रेसी मित्र के साथ बैठकर सौरभ शर्मा ही बैरियर की लिस्ट को अंतिम रूप देता रहा।

 

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