धर्मेंद्र पैगवार
भोपाल। 11 दिसंबर 2023 को जब भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक मोहनलाल खट्टर ने मध्य प्रदेश विधायक दल के नेता के रूप में डॉक्टर मोहन यादव के नाम की घषणा की, तब न केवल पूरा विधायक दल बल्कि राजनीतिक प्रेक्षक भी भौंचक थे। 16 साल से ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहन को मोहन यादव ने रिप्लेस किया था। 13 दिसंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उसी दिन से उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद को साबित करने की थी।
यह राजनीतिक घटनाक्रम ठीक भारतीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर की विदाई और महेंद्र सिंह धोनी के आगाज की तरह था। जब आप किसी जमे हुए खिलाड़ी को रिप्लेस करते हैं तो पिच पर जमे रहने से लेकर टीम को जिताने तक की जिम्मेदारी आप पर होती है। डॉ मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनने के 5 महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटें जिता कर केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा जीत लिया। लोकसभा चुनाव के नतीजे ने केंद्रीय नेतृत्व को भी आश्वस्त किया कि उनका फैसला सही था। प्रत्याशी चयन के दौरान उन्होंने पूरा फैसला संगठन पर छोड़ दिया। यहां तक की अपने गृह नगर उज्जैन लोकसभा सीट पर भी उन्होंने अपनी व्यक्तिगत रुचि जाहिर नहीं की। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन मत्री अजय जमवाल, प्रदेश प्रभारी महेंद्र सिंह अप प्रदेश संगठन के साथ उनकी जुगलबंदी का नतीजा था की लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा ने ऐतिहासिक परिणाम दिए।
जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में डॉ मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली उसी दिन शाम को उन्होंने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर को लेकर जो पहले आदेश जारी किया उसने विचारधारा को लेकर उनके मंसूबे जाहिर कर दिए थे। गोवर्धन पूजा से लेकर गीता जयंती पर सामूहिक पाठ का रिकॉर्ड और श्री कृष्ण पाथेय से लेकर गौ माता की चिंता करने को लेकर उनके फैसले उनके हिंदुत्व के एजेंट को परिलक्षित करते हैं। इनमें गाय पालने वालों को सरकार से अनुदान देना गौ संवर्धन के लिए बेहद उपयोगी फैसला है। उनके पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान आमतौर पर उदारवादी माने जाते थे। 2013 में उन्हें मुस्लिम टोपी पहनने पर भी कोई गुरेज नहीं की था, लेकिन इससे इतर मोहन यादव हिंदुत्व को लेकर ज्यादा आक्रामक दिखाई देते हैं।
यादव की जड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी है। विजयदशमी पर सामूहिक शस्त्र पूजन और उसमें मंत्रियों की भागीदारी के फैसलों ने अच्छा सदेश दिया है। मध्य प्रदेश में महिलाओं को 35% आरक्षण की उनकी घोषणा लाडली बहना योजना का काउंटर पार्ट है। ब्यूरोक्रेसी में अच्छे अफसर की पोस्टिंग और खुद सीएम हाउस में एसीएस रैंक के अफसर को कमान देने से नौकरशाही पर उनकी पकड़ मजबूत हुई है। रानी दुर्गावती की जयंती पर गोंडवाना में कैबिनेट की बैठक और आदिवासी व दलित वर्ग के लिए उनके कार्यक्रम पार्टी लाइन के साथ हैं।
बातचीत में डॉक्टर यादव सरल है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी बहुत कठिन से कठिन सवालों के जवाब हंस कर देते हैं। या वे बिना डिप्लोमेटिक आंसर के साफगोई से सच्चाई को स्वीकार लेते हैं।
उज्जैन से लेकर विंध्य कोठी के मिथक तोड़े
यदुवंशी डॉक्टर मोहन यादव कर्म करने में भरोसा रखते है। पिछली सरकार में जब वह मंत्री थे तो उन्हें सरकारी आवास के तौर पर विंध्य कोठी आवंटित की गई। इस कोठी में रहने वालों ने राजनीति में सफलता की ज्यादा सीढ़ी नहीं चढ़ी थीं। लेकिन यादव इसी कोठी में रहते हुए मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे। उन्होंने दूसरा मिथक उज्जैन को लेकर तोड़ा। राज्य प्रमुख उज्जैन में रात नहीं रुकेंगे इस अंधविश्वास को उन्होंने यह कहकर तोड़ा कि वह तो बाबा महाकाल के बेटे हैं।