आध्यात्मिक गुरु रघुनाथजी: जिन्होंने मेडिकल रासायनिक कचरे को लेकर अलख जगाई
ध्यान और अध्यात्म को लेकर भारत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रघुनाथ गुरुजी वर्तमान में अध्यात्म में विज्ञान की खोज को लेकर चर्चा में है। भारतीय जीवन दर्शन परंपराओं और त्योहारों को लेकर उसमें वैज्ञानिक कारण खोजते हुए रघुनाथ गुरुजी ने दिव्य शांति परिवार का गठन किया है। दिव्यांगों की सेवा के लिए दिव्यांग चेंबर ऑफ कॉमर्स बनाकर पूरे देश में जगह-जगह दिव्यांगों को रोजगार दिलाने के लिए आप प्रयासरत है। समाज के हर क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के लिए उन्होंने पर्यावरण की दिशा में भी काफी काम किया है।
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। देश के बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि जब देश में घर-घर कचरा एकत्र करने की शुरुआत हुई। उस वक्त सूखा और गीला कचरा करने अलग करने पर जोर दिया गया। लेकिन अध्यात्म के सथ
विज्ञान पर काम करने वाले रघुनाथ गुरु जी ने सबसे पहले इस बात को भी उठाया कि रासायनिक और मेडिकल वेस्ट भी अलग-अलग होना चाहिए। उन्होंने 2014 में महाराष्ट्र के पुणे में इस विषय को जोरदार तरीके से उठाया। उनके द्वारा उठाया गया यह विषय कई जगह अंगीकार किया गया।
रघुनाथ गुरुजी बताते हैं कि एक रिपोर्ट के मुताबिक हर दिन भारत में 700 टन मेडिकल और रासायनिक कचरा इकट्ठा होता है। इसमें अस्पतालों और कारखानों का ही कचरा नहीं आम घरों से भी इस तरह का कचरा निकलता है। रघुनाथ गुरु जी कहते हैं कि स्थानीय निकायों ग्राम पंचायत से लेकर महानगरपालिकाओं को इस दिशा में बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है।
रासायनिक और मेडिकल दोनों कचरा पूरी तरह से अलग नहीं हो पाता है। देश को इसके निष्पादन और पूरी तरह निराकरण की तकनीक पर काम करना चाहिए। घर से निकलने वाली एक्सपायरी गोली दवाई सिरप से लेकर बैटरी तक का अलग-अलग निष्पादन जरूरी है।
जून 2014 से ध्यानगुरु रघुनाथ गुरुजी ने पर्यावरण जनजागृति अभियान शुरू किया। वे पिछले 12 वर्षों से घरों के रासायनिक और मेडिकल कचरे के वर्गीकरण के लिए जनजागरण कार्य कर रहे हैं।
ध्यानगुरु रघुनाथ गुरुजी स्वयं एक शोधकर्ता हैं और उन्होंने पर्यावरणीय उपकरणों के क्षेत्र में कार्य करते हुए यह अनुभव किया कि औद्योगिक क्षेत्रों में दवाएं और रसायन बड़ी मात्रा में उपयोग होते हैं। इससे प्रेरित होकर उन्होंने यह संकल्प लिया कि घर-घर से निकलने वाले रासायनिक व मेडिकल कचरे का उचित निपटारा अत्यंत आवश्यक है।
पर्यावरण क्या है?
पर्यावरण का अर्थ है हमारे चारों ओर का प्रकृति हवा, पानी, मिट्टी, पेड़, जानवर और हम सभी। हमारा जीवन पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर है।
पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले मुख्य तत्व:
कचरा:
• गीला कचरा: बचा हुआ खाना, सब्जी के छिलके, फलों के छिलके आदि।
• सूखा कचरा: प्लास्टिक, कागज, कांच, लोहे आदि।
• खतरनाक कचरा: बैटरियाँ, दवाइयों के अवशेष, रसायन आदि।
• ई-कचरा: मोबाइल, कंप्यूटर पार्ट्स, चार्जर, आदि।
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ग्लोबल वॉर्मिंग और तापमान में बदलाव क्या है?
• पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है – इसे ग्लोबल वॉर्मिंग कहा जाता है।
• मुख्य कारण:
• CO₂, मीथेन जैसी गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन
• प्लास्टिक व रसायनों का जलना
• वृक्षों की कटाई, औद्योगिक प्रदूषण
भारत में घरेलू कचरे की स्थिति (सरकारी आँकड़ों के अनुसार):
मेडिकल कचरा (Biomedical Waste):
• भारत में प्रति दिन 700 टन से अधिक जैव चिकित्सा कचरा उत्पन्न होता है।
• घरों से प्रतिदिन 100–300 ग्राम जैविक कचरा निकलता है।
• मास्क, ग्लव्स, पट्टियाँ, सिरिंज
• एक्सपायर दवाएं – जल प्रदूषण का कारण
रासायनिक कचरा (Chemical Waste):
• भारत में हर साल 7.9 मिलियन टन खतरनाक रासायनिक कचरा उत्पन्न होता है।
• घरेलू रासायनिक कचरा में शामिल:
• शैम्पू, परफ्यूम, एसिड, बैटरियाँ, रंग, डिटर्जेंट आदि
• यह कचरा मिट्टी, पानी और हवा को प्रदूषित करता है।
• प्लास्टिक से बचें: पुनः उपयोग योग्य वस्तुओं को प्राथमिकता दें।
रासायनिक कचरा:
बैटरी • पेंट्स • कीटनाशक बोतलें • शॅम्पू बोतलें • सेंट्स • एसिड आदि
मेडिकल कचरा:
एक्सपायर्ड टॅबलेट्स • सीरप बोतलें • बँडेज • डायपर्स • मेडिकल उपकरण आदि
समाधान योजना
1. घर में अलग-अलग डस्टबिन रखें:
• पीला डस्टबिन – मेडिकल कचरे के लिए
• लाल डस्टबिन – रासायनिक कचरे के लिए
• गीले और सूखे कचरे को अलग कर कम्पोस्टिंग और रीसायक्लिंग करें।
2. साप्ताहिक संग्रहण व्यवस्था:
• नगर परिषद / एनजीओ द्वारा अलग-अलग कचरे का संग्रह।
3. प्रक्रिया:
• जैविक कचरे को इन्सिनरेटर में जलाना।
• रासायनिक कचरे का न्यूट्रलाइजेशन / रिसायक्लिंग।
4. जनजागृति अभियान:
• स्कूल, सोसायटी, ग्राम पंचायतों में पर्यावरण शिक्षा।
• NGO के सहयोग से – “हर घर में पर्यावरण ज्ञान”।
• सरकार और समाज की भागीदारी से ठोस कार्य योजना।
संदेश:
कचरा सिर्फ घर की समस्या नहीं है, यह पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य की गंभीर चुनौती है।
हमें सभी को जिम्मेदारी से कार्य करते हुए कचरे को कम करना होगा।
– “कचरामुक्त पर्यावरण” हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
– जब हम पर्यावरण की रक्षा करते हैं, हम अपना भविष्य सुरक्षित करते हैं।
पेड़ लगाओ – प्रदूषण घटाओ
पर्यावरण संरक्षण = जीवन संरक्षण
दिव्य शांति परिवार
अध्यक्ष – ध्यानगुरु रघुनाथ गुरुजी
(अनुसंधानकर्ता एवं पर्यावरण जागरूकता प्रवर्तक)