रघुनाथ गुरुजी से जानिए जगन्नाथ रथ यात्रा का वैज्ञानिक कारण

 

अध्यात्म में विज्ञान की खोज

पुणे, देश के जाने-माने आध्यात्मिक और योग गुरु रघुनाथ गुरुजी कहते हैं कि आषाढ़ मास में भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा और सावन मास में ओंकारेश्वर मथुरा वृंदावन के अलावा कावड़ यात्रा का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है। आषाढ़ और सावन मास में सिर्फ जगन्नाथ पुरी ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के पालकी वारकरी और उत्तर प्रदेश के ब्रज परिक्रमा के साथ पूरे भारत में कावड़ यात्रा निकाली जाती है।

भारतीय संस्कृति और हमारे त्योहार वैज्ञानिक दृष्टि से समृद्ध है — “आषाढ़ मास में पालखी वारकरी यात्रा व जगन्नाथ यात्रा” के दौरान होने वाली सामूहिक चालना (Mass Movement), मौसमी बदलाव (Monsoon), और पर्यावरणीय-ऊर्जात्मक प्रभाव के पीछे के वैज्ञानिक तथ्य, शोध, और प्राचीन परंपरा का समन्वय नीचे प्रस्तुत किया गया है। ऋतु परिवर्तन के इस मौके पर जब हजारों लोग एक साथ चलते हैं तो उनका मानसिक तनाव कम होता है और उन्हें आत्मिक शांति मिलती है। निम्नलिखित उदाहरण से रघुनाथ गुरुजी इस बात को सिद्ध भी करते हैं।

–  पालखी वारकरी यात्रा व जगन्नाथ रथ यात्रा (आषाढ़ मास)

🔬 विज्ञान + 🌸 अध्यात्म + 🌦️ ऋतुचक्र का संगम
🌧️ 1. आषाढ़ मास और वर्षा ऋतु का समय (Monsoon Synchronization)

🔹 पालखी यात्रा (पंढरपुर वारी) – महाराष्ट्र,
🔹 जगन्नाथ यात्रा – पुरी, ओडिशा
👉 दोनों आषाढ़ शुक्ल एकादशी (आषाढ़ी एकादशी) को चरम पर होती हैं।
यह वह काल होता है जब –
• मानसून आरंभ होता है
• मिट्टी, जलवायु और पौधों में नवीन ऊर्जा सक्रिय होती है
• पृथ्वी की ऊर्जा सबसे अधिक प्रसारित व ग्रहणशील होती है

🧠 2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण – सामूहिक चालना और ऊर्जा प्रभाव (Mass Movement & Energy Fields)

✅ A. Bioelectric Resonance (जैव-विद्युत स्पंदन):

👉 जब हजारों-लाखों लोग एक दिशा में एक ही भाव (भक्ति) से चलते हैं, तो उनका सामूहिक हृदय और मस्तिष्क का विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र (Electromagnetic Field) एक लयबद्ध स्पंदन उत्पन्न करता है।
सैकड़ों लोगों की एक दिशा में चालना – हृदय-संयोजन (Heart Coherence) को बढ़ाता है, जिससे शांति, सद्भाव, और सकारात्मक ऊर्जा वातावरण में फैलती है।

✅ B. Rhythmic Walking = Brainwave Reset + Emotional Detox:

👉 संतुलित गति से चलना (जैसे वारी, रथ यात्रा) से मस्तिष्क की बीटा वेव कम होकर अल्फा-थीटा वेव उत्पन्न होती है –
यह तनाव कम करता है, हार्मोन संतुलित करता है।

🔬 Research: Dr. Andrew Newberg (Neuroscientist, USA)
📚 Book – “How God Changes Your Brain”
✅ तीर्थयात्रा और सामूहिक भक्ति मस्तिष्क को शांत करती है और कॉर्टिसोल घटाती है।

✅ C. Acupressure Effect of Barefoot Walking:

👉 हजारों श्रद्धालु नंगे पांव चलते हैं — इससे पैरों के तलवों पर स्थित 60+ एक्यूप्रेशर बिंदुओं का प्राकृतिक उद्दीपन होता है, जिससे
• पाचन, लिवर, किडनी, हार्मोनल सिस्टम सुधरता है
• इम्युनिटी (प्राकृतिक रोग प्रतिरोधकता) बढ़ती है

🌿 3. पर्यावरणीय और जलवायु संतुलन (Environmental Effect)

✅ A. Carbon Footprint Reduction (पैदल यात्रा)

👉 लाखों लोग पैदल चलते हैं — जिससे मोटर-वाहन प्रदूषण कम होता है।
👉 वृक्षों, मिट्टी, जलस्रोतों के पास चलना = “प्राकृतिक ऊर्जा का संरक्षण और जागरण”

✅ B. Rain Energy Reception (वर्षा ऊर्जा से संतुलन)

👉 आषाढ़ मास में वर्षा के दौरान यथाशक्ति चलना शरीर के लिए
• जल तत्व का संतुलन
• त्वचा व स्नायु के लिए ताजगी
• मानसून फ्लू व थकावट से रक्षा करता है (immune reset)

🔬 WHO और आयुर्वेद के अनुसार
“बारिश में चलना अगर ज्वर/सर्दी न हो, तो शरीर में lymphatic system सक्रिय करता है।”

📜 4. प्राचीन ग्रंथों व संत परंपरा का उल्लेख

📚 स्कंद पुराण – “तीर्थयात्रा पैदल हो तो पुण्य और स्वास्थ्य दोनों लाभ होता है।”
📚 नाथ संप्रदाय व वारी परंपरा – “सामूहिक साधना + वंदना + पादयात्रा = चित्तशुद्धि + देहशुद्धि + लोकशुद्धि”
📚 चरक संहिता (आयुर्वेद) – “ऋतुकाल में यथाशक्ति चलना वात-पित्त-कफ का सम-संयोजन करता है।”

🧑‍🔬 कुछ वैज्ञानिकों व संस्थानों के शोध (Modern Research)

वैज्ञानिक/संस्थान शोध क्षेत्र निष्कर्ष
Dr. Herbert Benson (Harvard) Meditation & Walk Walking pilgrimage induces parasympathetic healing
HeartMath Institute (USA) Group Heart Coherence सामूहिक भक्ति-चालना = ऊर्जा क्षेत्र शुद्धिकरण
Dr. B.M. Hegde (Padma Bhushan, India) Faith & Health “Walking with devotion is a medicine”
IIT-Kharagpur (2018) Crowd Energy Mapping Mass movement at Rath Yatra creates geo-psycho resonance

🪔 5. मनोवैज्ञानिक व सामाजिक लाभ

✅ आंतरिक विषाद (depression), अकेलापन, चिंता आदि में राहत
✅ समाज के साथ चलने का भाव = “मैं अकेला नहीं” – सामूहिकता की ऊर्जा
✅ सभी वर्गों में एकता, कोई भेद नहीं – सब वारी में एक जैसे चलते हैं

🔚 निष्कर्ष:

🔱 पुरी समेत पूरे भारत में जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्राएं , पूरे भारत में कावड़ यात्राएं और सावन मास में ब्रज के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों की परक्रमाएं। न केवल भक्ति का उत्सव है, बल्कि मानव शरीर, पर्यावरण और ऊर्जा तंत्र को पुनः संतुलन में लाने का एक वैज्ञानिक साधन है।
यह परंपरा प्राचीन भारत के ऋतुचक्र-आधारित जीवनशैली व जैविक स्वास्थ्य दर्शन को प्रतिबिंबित करती है।

ध्यान गुरु रघुनाथ गुरुजी आध्यात्मिक संशोधक

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